Friday, December 24, 2010

KRANTIVIR SHAHID BABURAO PULLISUR RAJGOND (SEDMAKE)


क्रांतिवीर शहीद बाबुराव पुल्लिसुर राजगोंड (सेड्माके)                                              भारत देश को स्वतंत्रता दिलाने के खातिर कई चिराग बुज़ गए किन्तु उसकी लौ बाकि रही, फैलती रही , महकती रही  | इस महक को जिसने भी पाई वे विद्रोही बने | वीर बाबुराव सेड्माके स्वतंत्रता संग्राम में बुजे हुए रोशन चिराग की ऐसीही एक लौ  थे | जिसने अन्ग्रेजोंको यह एहसास कराया की, देश की आज़ादी की शमा पर मर मिटनेवाले  परवाने अभी जिन्दा है | वीर बाबुराव सेड्माके के अद्वितीय पराक्रम और साह्स से अंग्रेज उनसे आमने- सामने के लढाई से डरते थे | अंग्रेजो ने उनकी बहन को लालच देकर वीर बाबुराव को उनके घर बुलवाया और धोकेसे उनको पकड़ा | अंग्रेजोने  वीर बाबुराव को २१ अक्तूबर १८५८ को  चान्दागढ़ (चंद्रपुर ) में फाशी दी |                                         वीर बाबुराव का जन्म १२ मार्च १८३३ में मोलमपल्ली जी. गडचिरोली (महाराष्ट्र) के  एक जमीनदार घराने में हुआ | उनके पिता का नाम पुल्लिसुर और माता का नाम जुरजाकुवर था | बचपन से ही उनका दिमाख तेज था | शास्त्र  -विद्या के साथ -साथ उन्होंने शस्त्र विद्या में भी शीघ्र ही निपुणता हासिल कर ली | वे तलवार , भाला , आदि में प्रवीन हुए | शेर शिकार करना उनका खास शौक था |

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